toolbar

Powered by Conduit

adsense code

10/25/2007

ध्यान का दैनिक जीवन पर प्रभाव


ध्यान आज की विषम परिस्थिति की परम आवश्यकता है। ध्यान से शरीर मन बुद्धि व चित्त की शुद्धि होती है। जिसके कारण चित्त की व्रृत्तियाँ इधर उधर फैलने की बजाय एक स्थान पर आ जाती हैं। द्रष्टा अपने स्वरूप में स्थित होता है। वह अवस्था एक बार प्राप्त होने पर, जब चाहे तब अनुभव की जा सकती है। बाद में उसे निरंतर बनाये रखा
जा सकता है।

ध्यान की सबसे बड़ी उपयोगिता यह है कि सारी इन्द्रियाँ, मन तथा उसमें उठ्ने वाले आवेग और द्र्ष्य, विभिन्न अलोकिक शक्तियाँ सभी साधक के आधीन रहते हैं।

किसी भी कार्य को करने में शरीर की समग्र इद्रियाँ और मन एक साथ जुट जाते हैं! अर्थात पूरी शक्तियाँ एक ही लक्ष्य को पाने में सक्रीय हो उठती हैं! इससे हर कार्य कुशलता से होता है! कहा भी है योगकर्मासु कोशालम।

कम से कम शक्ति खर्च करने पर अधिक से अधिक लाभ साधक को प्राप्त कम से।

कम से कम शब्दो से काम चलाना, जहाँ बोलना आवश्यक न हो, वहाँ मौन रहना अर्थात समय स्थान तथा व्यक्ति को द्रष्टि मै रख कर पूर्ण चैतन्य रहकर अपना व्यवहार करता है।

ध्यान योग से आपका जीवन संतुलित होता है।

Meditation on VJMS website

No comments: