10/25/2007
ध्यान का दैनिक जीवन पर प्रभाव
ध्यान आज की विषम परिस्थिति की परम आवश्यकता है। ध्यान से शरीर मन बुद्धि व चित्त की शुद्धि होती है। जिसके कारण चित्त की व्रृत्तियाँ इधर उधर फैलने की बजाय एक स्थान पर आ जाती हैं। द्रष्टा अपने स्वरूप में स्थित होता है। वह अवस्था एक बार प्राप्त होने पर, जब चाहे तब अनुभव की जा सकती है। बाद में उसे निरंतर बनाये रखा जा सकता है।
ध्यान की सबसे बड़ी उपयोगिता यह है कि सारी इन्द्रियाँ, मन तथा उसमें उठ्ने वाले आवेग और द्र्ष्य, विभिन्न अलोकिक शक्तियाँ सभी साधक के आधीन रहते हैं।
किसी भी कार्य को करने में शरीर की समग्र इद्रियाँ और मन एक साथ जुट जाते हैं! अर्थात पूरी शक्तियाँ एक ही लक्ष्य को पाने में सक्रीय हो उठती हैं! इससे हर कार्य कुशलता से होता है! कहा भी है योगकर्मासु कोशालम।
कम से कम शक्ति खर्च करने पर अधिक से अधिक लाभ साधक को प्राप्त कम से।
कम से कम शब्दो से काम चलाना, जहाँ बोलना आवश्यक न हो, वहाँ मौन रहना अर्थात समय स्थान तथा व्यक्ति को द्रष्टि मै रख कर पूर्ण चैतन्य रहकर अपना व्यवहार करता है।
ध्यान योग से आपका जीवन संतुलित होता है।
Meditation on VJMS website
10/23/2007
ध्यान के महत्वपूर्ण नियम
ध्यान के महत्वपूर्ण नियम
ध्यान हमेशा एक ही स्थान पर बैठकर, एक ही समय पर करने का प्रयास कीजीय। आप जहाँ ध्यान करते हैं वहाँ आपके ऊर्जा और आभामंडल से एक विद्युत का घेरा बन जाता है। आप जब भी ध्यान करने के लिये बैठेंगे आपका ध्यान अपने आप टिकने लगेगा।
Use same place and same time for meditation. The place you use for regular meditaion is spirutaly charged and gets envelope of energy.
ध्यान से पहले वस्त्र स्वच्छ सफेद या पीले और एक ही होने चाहिये! आपके वस्त्र भी शरीर के ऊर्जा को ग्रहण कर लेते हैं!
Use white or yellow (fire color) cloth, clothing also gets the spiritual energy.
ध्यान का सबसे अधिक लाभ ब्रह्म मुहूर्त में मिलता है जो कि सूर्योदय या सूर्यास्त का समय होता है । इस समय ध्यान करने से सुषुम्ना नाडी जल्दी प्रवाहित होती है।
Meditating at early morning and evening sunset is very effective. This time is called Brahma Muhurtam. The breathing is effective for meditation at these times.
ध्यान के समय लकड़ी के पटरे का प्रयोग करें जिसके ऊपर कुश या ऊन का आसन बिछा लें। अपना आसन और किसी को मत दीजिये।
Place wooden seat or piece on floor and spread wool or skin cloth on top of it to make your seat for meditation. A seat prepared this way is called Asan. It insulates you from the floor and energy flows within you and not relesed to the floor. It is not a good practice to share your seat (Asan) with othres.
ध्यान के साधकों के लिये आहार पौष्टिक ,शुद्ध और सात्विक होना चाहिये ! फल और दूध का अधिक सेवन करें। तामसिक पदार्थ जैसे प्याज या लहसुन कम से कम ग्रहण करना चाहिये।
It is good to have nutritious, pure and spiritual food. Fruts and milk products are the best. Avoid ingradiant such as onion or garlic which lead to heat and thereby anger.
ध्यान से पूर्व मन और शरीर दोनों को शुद्ध रखें। यदि कोइ भी विकार मन में उत्पन्न हो रहें हों तो अपने ऊपर गंगा जल छिड़क कर ११ बार गुरूमंत्र का जाप कीजिये।
Keep your mind and body pure before you take a seat for meditation practice. If you find your mind is not steady and it has bad desires, spill pure water 11 times chanting gurumantra or beejmantra.
ध्यान से पूर्व गणेशजी और शिवजी का स्मरण कीजिये और पूरे विश्व के मंगल की कामना कीजिये। आपके विचार कभी समाप्त नहीं होते। वे ब्रह्मांड में तैरते रहते हैं। इसलिए विचारों को संयमित रखना आवश्यक हैं।
While commencing meditation, think about your favourit deity and blessing the world. Your thoughts of mind do not fade away, they remain in universe as wave forms. Threfore it is a good practice to keep your thoughts minmum and alway think positive and good.
यदि आप किसी रोग से ग्रसित हो तो गुरू से आज्ञा लेने के पश्चात ही ध्यान प्रारंम्भ करे।
If you have any disease, it is good to take blassings of your teacher (Guru) to keep practicing meditation.
ध्यान एक अनमोल निधि है। उसके माध्यम से हम ईश्वर की अनुभूति प्राप्त करते हैं और आत्मज्ञान प्राप्त करते हैं। तो आइये ध्यान की गहराइयों में उतरें और इस मनुष्य जीवन को सार्थक बनायें।
Meditation is an invaluable practice. By meditation one gets to feal about the highest form of energy Almighty God, Also it is possible to get the highest form of knowledge, knowing who you are. Threfore practice meditation to achieve your desires of this your birth in human form.
ध्यान हमेशा एक ही स्थान पर बैठकर, एक ही समय पर करने का प्रयास कीजीय। आप जहाँ ध्यान करते हैं वहाँ आपके ऊर्जा और आभामंडल से एक विद्युत का घेरा बन जाता है। आप जब भी ध्यान करने के लिये बैठेंगे आपका ध्यान अपने आप टिकने लगेगा।
Use same place and same time for meditation. The place you use for regular meditaion is spirutaly charged and gets envelope of energy.
ध्यान से पहले वस्त्र स्वच्छ सफेद या पीले और एक ही होने चाहिये! आपके वस्त्र भी शरीर के ऊर्जा को ग्रहण कर लेते हैं!
Use white or yellow (fire color) cloth, clothing also gets the spiritual energy.
ध्यान का सबसे अधिक लाभ ब्रह्म मुहूर्त में मिलता है जो कि सूर्योदय या सूर्यास्त का समय होता है । इस समय ध्यान करने से सुषुम्ना नाडी जल्दी प्रवाहित होती है।
Meditating at early morning and evening sunset is very effective. This time is called Brahma Muhurtam. The breathing is effective for meditation at these times.
ध्यान के समय लकड़ी के पटरे का प्रयोग करें जिसके ऊपर कुश या ऊन का आसन बिछा लें। अपना आसन और किसी को मत दीजिये।
Place wooden seat or piece on floor and spread wool or skin cloth on top of it to make your seat for meditation. A seat prepared this way is called Asan. It insulates you from the floor and energy flows within you and not relesed to the floor. It is not a good practice to share your seat (Asan) with othres.
ध्यान के साधकों के लिये आहार पौष्टिक ,शुद्ध और सात्विक होना चाहिये ! फल और दूध का अधिक सेवन करें। तामसिक पदार्थ जैसे प्याज या लहसुन कम से कम ग्रहण करना चाहिये।
It is good to have nutritious, pure and spiritual food. Fruts and milk products are the best. Avoid ingradiant such as onion or garlic which lead to heat and thereby anger.
ध्यान से पूर्व मन और शरीर दोनों को शुद्ध रखें। यदि कोइ भी विकार मन में उत्पन्न हो रहें हों तो अपने ऊपर गंगा जल छिड़क कर ११ बार गुरूमंत्र का जाप कीजिये।
Keep your mind and body pure before you take a seat for meditation practice. If you find your mind is not steady and it has bad desires, spill pure water 11 times chanting gurumantra or beejmantra.
ध्यान से पूर्व गणेशजी और शिवजी का स्मरण कीजिये और पूरे विश्व के मंगल की कामना कीजिये। आपके विचार कभी समाप्त नहीं होते। वे ब्रह्मांड में तैरते रहते हैं। इसलिए विचारों को संयमित रखना आवश्यक हैं।
While commencing meditation, think about your favourit deity and blessing the world. Your thoughts of mind do not fade away, they remain in universe as wave forms. Threfore it is a good practice to keep your thoughts minmum and alway think positive and good.
यदि आप किसी रोग से ग्रसित हो तो गुरू से आज्ञा लेने के पश्चात ही ध्यान प्रारंम्भ करे।
If you have any disease, it is good to take blassings of your teacher (Guru) to keep practicing meditation.
ध्यान एक अनमोल निधि है। उसके माध्यम से हम ईश्वर की अनुभूति प्राप्त करते हैं और आत्मज्ञान प्राप्त करते हैं। तो आइये ध्यान की गहराइयों में उतरें और इस मनुष्य जीवन को सार्थक बनायें।
Meditation is an invaluable practice. By meditation one gets to feal about the highest form of energy Almighty God, Also it is possible to get the highest form of knowledge, knowing who you are. Threfore practice meditation to achieve your desires of this your birth in human form.
10/14/2007
ध्यान साधना - आपका साधना का परिश्रम क्या लाएगा
पुस्ताकें आलोक पथ - ध्यान साधना - आपका साधना का परिश्रम क्या लाएगा
ज्ञान का दीपक जल गया तो कष्ट-क्लेश अपने आप दूर हो जायेगा, अँधेरा भाग जायेगा। अँधेरे सं लढाई मत मोल लो, केवल दीपक जलाओ।
जो झानी है वह अन्दर-बहार से सरल होगा। दोनों ओर से सरलता टपकेगी, कही भी कपट नही, कुटिलता नही। सीधी-सीधी भाषा और बच्चो जैसा निश्छल मन।
प्रकृति मे तीन गुण है - सत, रज और तम। जिस गुण की मात्रा शरीर और मन-मस्तिष्क में बढती है उसी के अनुसार व्यक्ति का व्यवहार दिखाई देने लगता है।
आपके स्वभाव में कुछ इस तरह कि ताजगी होनी चाहिये जैसे किसी पहाड़ी स्थान पर सुबह-सुबह खिले हुये फूलों पर पडी हुई ओस।
आपकी वाणी सत्य से प्रतिष्टित हो, प्रिय हो और हितकर हो। अपनी वाणी को ज्ञान के मधुर शब्दो से सजाओ।
मृत्यु इस जन्म कि आख़िरी नींद है। जन्म अगले जीवन का पहला जागरण है। पड़ाव पर थक कर सो जाना-बस, इसी का नाम मौत है। जागा तो नयी ताजगी से भर कर आगे चल दिया।
ज्ञान का दीपक जल गया तो कष्ट-क्लेश अपने आप दूर हो जायेगा, अँधेरा भाग जायेगा। अँधेरे सं लढाई मत मोल लो, केवल दीपक जलाओ।
जो झानी है वह अन्दर-बहार से सरल होगा। दोनों ओर से सरलता टपकेगी, कही भी कपट नही, कुटिलता नही। सीधी-सीधी भाषा और बच्चो जैसा निश्छल मन।
प्रकृति मे तीन गुण है - सत, रज और तम। जिस गुण की मात्रा शरीर और मन-मस्तिष्क में बढती है उसी के अनुसार व्यक्ति का व्यवहार दिखाई देने लगता है।
आपके स्वभाव में कुछ इस तरह कि ताजगी होनी चाहिये जैसे किसी पहाड़ी स्थान पर सुबह-सुबह खिले हुये फूलों पर पडी हुई ओस।
आपकी वाणी सत्य से प्रतिष्टित हो, प्रिय हो और हितकर हो। अपनी वाणी को ज्ञान के मधुर शब्दो से सजाओ।
मृत्यु इस जन्म कि आख़िरी नींद है। जन्म अगले जीवन का पहला जागरण है। पड़ाव पर थक कर सो जाना-बस, इसी का नाम मौत है। जागा तो नयी ताजगी से भर कर आगे चल दिया।
आलोक पथ
जीस प्रकार आग मे दाहक शक्ति स्वभाविक है, उसी प्रकार भगवान के नाम मे पाप को जला डालने के शक्ति स्वभाविक है। भगवान का नाम किसी प्रकार भी जीभ पर आना चाहिये। इस कलियुग में भगवान का नाम बहुत बड़ा सहारा है। शास्त्रों में कहा गया है कि यह जीवन अनंत है। कर्मजाल से आबद्ध जीव दुसरा शरीर धारण कर लेता है। अच्छे और बुरे दोनों ही प्रकार के कर्म जीव को पुनः जन्म लेने का कारण बनते है।उद्दानं तै पुरुषं नावयानम् - ऊपर उठने के लिये यह मानव जन्म प्राप्त हुआ है। ऋषि-मुनी, सिद्ध - साधकों ने समय - समय पर जीवन मूल्यों को सुनिश्चित करने के लिये अथक प्रयास किया। संत जिस स्थान पर रहतें है वह स्थान पावन हो जाता है । जिसके निकट रहने पर दैवी सम्पति के वृद्धि हो, बुराईयां मिटकर भगवान की ओर मन जाने लगे, वह हमारे लिये संत है। अपने को उसके हाथ में सौप देना चाहिये।
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सिंगापुर स्तिथ विनायागारा गणेशजी का मंदिर
परम पूज्य सुधान्शु जी महाराजकी सिंगापुर भेट दौरान विनायागारा गणेशजी के मंदिर मे ध्यान साधना का आयोजन हुआ।
साधकों ने पंजीकरण करके एक रविवार के सुबह महाराजश्री से ध्यान साधना का मार्गदर्शन लिया।
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