स्थूल शरीर; इस में पाँच ज्ञानेंद्र्या और पांच कर्मेन्द्रियाँ हैं।
ज्ञानेंद्र्या ये है।
आंख ,नाक ,कान ,त्वचा, तथा जीभ जो चखाती है !
और कर्मेंद्रियाँ ये है।
हाथ ,पाँव , मुत्रेंद्रिय ,गुदा ,तथा जीभ जो बोलती है !
इन इन्द्रियों का स्वामी मन है। मन में ही विचारों का आदान प्रदान होता है। इन विचारों का निर्णय या स्वीकृति बुद्धि देती है। जहाँ हमारे कर्म अंकित होते हैं उसको चित्त कहते हैं।
9/24/2007
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