toolbar

Powered by Conduit

adsense code

8/02/2017

अपनी प्रतिष्टा

  • अपनी प्रतिष्टा को भूलकर ,अकिंचन बनकर गुरू के दर  दर पर सेवा करने से जो प्राप्ति होगी ,उसकी कोई बराबरी नहीं !
  • सुधान्शुजी जी महाराज

No comments: