toolbar

Powered by Conduit

adsense code

6/23/2015

परमात्मा की कृपा





जिसमे संतुलन है उसके अंदर प्रसंन्त्ता है जो परमात्मा ने दिया हे उसे परमात्मा की कृपा का फल मानकर स्वीकार करो तो प्रसंन्त्ता आएगी जीवन मै सदा गुनगुनाते रहो खिले रहो प्रसंन्त्ता,उत्सव,उल्लास तप भी है और भक्ति भी है 

No comments: