5/31/2015
मानव जीवन शोभायमान
5/30/2015
आत्मा का परमात्मा से
5/29/2015
मति चार प्रकार की
परम पूज्य श्री सुधान्शुजी महाराज
5/28/2015
भगवान ने सबको
प्रभु के नाम के
http://jiggyaasa.blogspot.in/
http://adhyatmik.blogspot.in/
http://rajmgarg.blogspot.in/
http://guruvatikasechunephool.blogspot.in/
http://wwwmggsantvani.blogspot.in/
http://guruvanni.blogspot.in/
http://mggarga.blogspot.in/
5/27/2015
बहुत पछताओगे
http://jiggyaasa.blogspot.in/
http://adhyatmik.blogspot.in/
http://rajmgarg.blogspot.in/
http://guruvatikasechunephool.blogspot.in/
http://wwwmggsantvani.blogspot.in/
http://guruvanni.blogspot.in/
http://mggarga.blogspot.in/
5/24/2015
पशु-पक्षियों से मनुष्य
5/21/2015
सत्संग की ज्ञान गंगा
Jo milne par
मन के पौधे को
गुरु भक्तो ! विचार कीजिए
अधि का अर्थ है ऊपर और आत्म का अर्थ है स्वयं दोनों का संधिपरक अर्थ है स्वयं से ( निजी स्वार्थों से )ऊपर और जो निजी स्वार्थों से ऊपर उठकर कार्य करता है वह आध्यात्मिक कहलाता हे !
इस दृष्टि से अब विचारणीय यह है की आप कितने आध्यात्मिक हैं ?
* क्या कभी आपने सोचा है की स्वयं के लिए जीने अथवा अपना पेट भरने के लिए ही आपका जन्म नहीं हुआ ?
* क्या कभी आप अपने दुर्गुणों ( स्वार्थ ,इर्षा ,द्वेष ,लोभ ,-मोह , दंभ आदि )को दूर करने तथा सदगुण ( सेवा ,परोपकार ,सहानभूति स्वाध्याय ,सत्संग ,संतोष ,समर्पर्ण आदि ) के ग्रहण द्वारा लोकहित के लिए एकांत चिंतन करते हैं ?
*क्या कभी आपने स्वयं न खाकर किसी भूके को खिलाया है अथवा किसी खिलाने वाले का सहयोग दिया है ?
* क्या आपने कभी दीन दुखिया और बिछुडों को गले लगाया हे ?
*सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर क्या कभी आपने गिरतों की बांह पकड़ी !
बिना हरी नाम
5/19/2015
जीवन के दो पक्ष
5/18/2015
छिनना है तो
5/17/2015
यह जीवन तभी तक आनंदित
"नदी के दो किनारे उसकी दो सीमा रेखायें हैं, जब नदी उसके बीच में होकर बहती है तब उसका सौन्दर्य है और किनारे तोड़कर नदी बाहर आ जाये तो विनाश की स्थिती उत्पन्न कर देगी। यह जीवन तभी तक आनंदित हो सकता है, उन्नति का कारण बन सकता है, यश का कारण बन सकता है, जहाँ मर्यादाओं के बीच में जीवन बहता हो। किनारा तोड़कर बाहर आओगे, सम्मान के हकदार नहीं रह पाओगे।
मर्यादा समाज में भी महत्वपूर्ण चीज़ है, जीवन में भी महत्वपूर्ण चीज़ है।
5/16/2015
जीवन में चमत्कार
5/15/2015
क्रोध को जीवन
http://jiggyaasa.blogspot.in/
http://adhyatmik.blogspot.in/
http://rajmgarg.blogspot.in/
http://guruvatikasechunephool.blogspot.in/
http://wwwmggsantvani.blogspot.in/
http://guruvanni.blogspot.in/
http://mggarga.blogspot.in/
5/14/2015
जो आँखे अपने
http://jiggyaasa.blogspot.in/
http://adhyatmik.blogspot.in/
http://rajmgarg.blogspot.in/
http://guruvatikasechunephool.blogspot.in/
http://wwwmggsantvani.blogspot.in/
http://guruvanni.blogspot.in/
http://mggarga.blogspot.in/
5/13/2015
जो व्यथाऍं प्रेरणा दें
जूज्ञ कर कठनईयों से रंग जीवन का निखारो,
बृक्ष कट -कट कर बढा हे,
दीप बुज्ञ -बुज्ञ कर जला हे,
मृत्यु से जीवन मिले तो उसकी आरती उतारो!
हममें परमात्मा है
5/12/2015
some good thaughts
आपकी जैसी
5/11/2015
दिशा और दशा
http://jiggyaasa.blogspot.in/
http://adhyatmik.blogspot.in/
http://rajmgarg.blogspot.in/
http://guruvatikasechunephool.blogspot.in/
http://wwwmggsantvani.blogspot.in/
http://guruvanni.blogspot.in/
http://mggarga.blogspot.in/
आज का संघर्ष
5/10/2015
जो छोटी छोटी
5/09/2015
Fwd: [Vishwa Jagriti Mission Mandal] प्रेम से प्रभु
काम करते चलो नाम जपते चलो
हर समय शिव का ध्यान धरते चलो
नाम धन का खज़ाना बढ़ाते चलो
प्रेम से प्रभु को रिझाते चलो
अपने मन को सुमार्ग पर चलाते चलो।
--
Posted By Madan Gopal Garga to Vishwa Jagriti Mission Mandal at 5/07/2015 09:29:00 PM
यह सत्संग
5/08/2015
प्रेम से प्रभु
काम करते चलो नाम जपते चलो
हर समय शिव का ध्यान धरते चलो
नाम धन का खज़ाना बढ़ाते चलो
प्रेम से प्रभु को रिझाते चलो
अपने मन को सुमार्ग पर चलाते चलो।
5/06/2015
उत्तम आचरण,
5/04/2015
दूसरों के दोष
http://jiggyaasa.blogspot.in/
http://adhyatmik.blogspot.in/
http://rajmgarg.blogspot.in/
http://guruvatikasechunephool.blogspot.in/
http://wwwmggsantvani.blogspot.in/
http://guruvanni.blogspot.in/
http://mggarga.blogspot.in/
दूसरों के दोष ढूंढने में अपनी शक्ति का अपव्यय मत करो। अपने आप को ऊँचा उठाने का हर सम्भव प्रयास जारी रखो, उसे कम न होने दो।
हर किसी में अच्छाई को ढूंढो, उससे कुछ सीखकर अपना ज्ञान और अनुभव बढाओ। इससे तुम बहुत जल्दी ऊँचाई तक पहुँच सकते हो।
5/02/2015
Fwd: [Vishwa Jagriti Mission Mandal] Fwd: [AMRIT VANI ] 5/01/2015 05:19:00 pm
5/01/2015
Fwd: [AMRIT VANI ] 5/01/2015 05:19:00 pm
From: Madan Gopal Garga LM VJM <mggarga@gmail.com>
Date: 2015-05-01 17:19 GMT+05:30
Subject: [AMRIT VANI ] 5/01/2015 05:19:00 pm
To: mggarga@gmail.com
--
Madan Gopal Garga LM VJM द्वारा AMRIT VANI के लिए 5/01/2015 05:19:00 pm को पोस्ट किया गया