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5/17/2015

यह जीवन तभी तक आनंदित




"नदी के दो किनारे उसकी दो सीमा रेखायें हैं, जब नदी उसके बीच में होकर बहती है तब उसका सौन्दर्य है और किनारे तोड़कर नदी बाहर आ जाये तो विनाश की स्थिती उत्पन्न कर देगी। यह जीवन तभी तक आनंदित हो सकता है, उन्नति का कारण बन सकता है, यश का कारण बन सकता है, जहाँ मर्यादाओं के बीच में जीवन बहता हो। किनारा तोड़कर बाहर आओगे, सम्मान के हकदार नहीं रह पाओगे।

मर्यादा समाज में भी महत्वपूर्ण चीज़ है, जीवन में भी महत्वपूर्ण चीज़ है।

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